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पायलट गुट से कोन बनेगा मंत्री? गहलोत मंत्रिमंडल में कोन होगा शामिल?

Who will be the minister from the pilot group?  Who will be included in Gehlot cabinet?




राजस्थान में अब सियासी ड्रामा पूरी तरह से खत्म हो चुका है। राजस्थान में कांग्रेस की सरकार ने विधानसभा में अपना बहुमत सिद्ध कर दिया है। विधानसभा में बहुमत सिद्ध करने के बाद में 6 महीने के लिए कांग्रेस की सरकार स्तर हो गई है यानी सरकार पर जो खतरा था वह 6 महीने के लिए अब टल गया है। अब सबकी नजर गहलोत सरकार पर इस बात को लेकर टिकी हुई है कि गहलोत सरकार में मंत्रिमंडल का विस्तार कब होगा? राजनीतिक नियुक्तिया कब होगी? और सबसे बड़ा सवाल यह है कि गहलोत मंत्रिमंडल का विस्तार होगा तो किसको मंत्री का पद दिया जाएगा और किसके हाथों से मंत्री पद छीन लिया जाएगा।


गहलोत मीडिया के सामने काफी बार यह बात बोल चुके हैं कि जिन्होंने संकट की घड़ी में साथ दिया है उनको इनाम जरूर दिया जाएगा। इस बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि गहलोत के मंत्रिमंडल में कुछ निर्दलीय विधायकों और कुछ बसपा से कांग्रेस में शामिल हुए विधायकों को मंत्रिमंडल में शामिल किया जा सकता है।

अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि सचिन पायलट के साथ में जो विधायक है या फिर यूं कहें कि पायलट गुट के किन किन विधायकों को मंत्रिमंडल में शामिल किया जाएगा। आपको बता दें कि इससे पहले पायलट गुट के दो विधायक रमेश मीणा और विश्वेंद्र सिंह मंत्रिमंडल में शामिल थे। जिनसे मंत्रिमंडल का पद छीन लिया गया था। और सचिन पायलट से उपमुख्यमंत्री पद के साथ साथ मंत्रालय और प्रदेश अध्यक्ष का पद भी छीन लिया गया था।

लेकिन बाद में सचिन पायलट का कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और प्रियंका गांधी से जो समझौता हुआ है उसमें यकीनन सचिन पायलट गुट के कुछ विधायकों को या तो मंत्रिमंडल में शामिल किया जाएगा या फिर कुछ अन्य पद दिया जाएगा यह तो तय है।

इस दौरान चर्चा तो यह भी हो रही है कि इस बार गहलोत मंत्रिमंडल विस्तार में हरीश मीणा, बृजेंद्र ओला, इंद्र गुर्जर, दीपेंद्र सिंह, मुरारी मीणा, रमेश मीणा और सुरेश मोदी में से किन्हीं तीन हो मंत्रिमंडल में शामिल किया जा सकता है। हालांकि अभी तक यह साफ नहीं हो पाया है कि समझौता का आधार क्या होगा? क्योंकि सचिन पायलट पार्टी में वापस आने के बाद में उनका बयान आया है कि वह बिना किसी मांग के वापस लौटे हैं। लेकिन यह बात सबको पता है कि राजनीति में जो कहा जाता है वह होता नहीं है जो होता है वह कहा नहीं जाता है।

अब इंतजार है तो सिर्फ गहलोत मंत्रिमंडल विस्तार का है क्योंकि इसमें यह साफ हो पाएगा कि पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट के समझौते के सामने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को कितना झुकना पड़ा है। क्योंकि सचिन पायलट के फिर से पार्टी में आने के बाद में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का ब्यान भी सामने आया था कि जो आलाकमान उनको कहेगा वो वह करेंगे।

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