Ashok Gehlot, Sachin Pilot |
राजस्थान कांग्रेस में चल रहा सियासी संग्राम का युद्ध पर अब विराम लग चुका है। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने तीन सदस्यीय की कमेटी घोषित कर दी है। साथ ही अविनाश पांडे को राज्य के प्रभारी पद से हटाकर अजय माकन को राजस्थान कांग्रेस प्रभारी पद पर बिठा दिया है। कांग्रेस आलाकमान राजस्थान का प्रकरण स्थाई तौर पर सुलझाना चाहता है। ऐसे में माना जा रहा है कि बहुत जल्द ही गहलोत मंत्रिमंडल का विस्तार और राजनीतिक नियुक्तिया कर के अशोक गहलोत और सचिन पायलट के समर्थकों को संतुष्ट किया जा सकता है।
आपको बता दें कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपने कैबिनेट से सचिन पायलट, विश्वेंद्र सिंह और रमेश मीणा को मंत्रिमंडल से बर्खास्त करने के बाद में अब 22 मंत्री मंत्रिमंडल में शामिल हैं। इनमें से भी मास्टर भंवरलाल मेघवाल फिलहाल कोमा में है और शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा को राजस्थान प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष बना दिया गया है। ऐसे में माना जा रहा है कि इन दोनों नेताओं की मंत्री पद से छुट्टी हो सकती है।
मिली खबरों के अनुसार गहलोत सरकार अपने पांच मंत्रियों की छुट्टी इस बार मंत्रिमंडल विस्तार में कर सकती हैं। जिसके कारण करीब 15 मंत्रियों का पद खाली हो जाएगा। राजस्थान कैबिनेट में कुल 30 सदस्यों को मंत्रिमंडल में शामिल किया जा सकता है। ऐसे में माना जा रहा है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत बसपा से कांग्रेस में आए विधायक राजेंद्र गुड्डा को मंत्री पद दे सकती है। इसके अलावा निर्दलीय विधायक संयम लोढ़ा को भी मंत्रिमंडल में शामिल किया जा सकता है।
हालांकि मुख्य सचेतक महेंद्र जोशी और उप मुख्य सचेतक महेंद्र चौधरी भी मंत्री बनने की इच्छा रखते हैं। लेकिन माना जा रहा है कि गहलोत सरकार इन दोनों को विधानसभा तक की जिम्मेदारी में ही सीमित रखना चाहती है। सचिन पायलट को उप मुख्यमंत्री पद से हटाया जाने के बाद गुर्जर नेता के रूप में शकुंतला रावत या फिर जितेंद्र सिंह को मंत्रिमंडल में शामिल कर सकते हैं।
इसके अलावा जोगिंदर सिंह अवाना और गिरिराज मलिंगा की राज्यमंत्री में शामिल होने की कोशिश कर रहे हैं। दूसरी तरफ यह भी माना जा रहा है कि दिल्ली से सचिन पायलट को छोड़कर फिर से गहलोत कैंप में लौट आने वाले विधायक चेतन डूडी, दानिश अबरार और रोहित बोहरा इन तीन विधायकों में से एक को मंत्री पद दिया जा सकता है। जबकि दूसरी तरफ राजकुमार शर्मा जैसे और भी विधायक मंत्रिमंडल में शामिल होने की दावेदारी ठोक रहे हैं।
वहीं दूसरी तरफ सूत्रों से मिली खबर के अनुसार सचिन पायलट अपने खेम के विधायक विश्वेंद्र सिंह और रमेश मीणा की वापसी चाह रहे हैं। जबकि दो मंत्रालय जो उनके पास थे उनमें से एक पर दीपेंद्र सिंह शेखावत को मंत्री बनाना चाहते हैं तो दूसरे पर हेमाराम चौधरी को मंत्री बनाकर बिठाना चाहते हैं। माना जा रहा है कि दोनों ही वरिष्ठ विधायक हैं इसलिए आलाकमान भी इनको मंत्री बनाने में अड़चन नहीं करेगा।
इसके अलावा पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट चाह रहे हैं कि उनके खेमे से दो राज्य मंत्री और दो संसदीय सचिव भी बनाया जाए। इन नामों में से लाडनूं विधायक मुकेश भाकर, विधायक मुरारी लाल मीणा, वेद प्रकाश सोलंकी और गजेंद्र सिंह शेखावत के नामों पर चर्चा हो रही है।
इस बार मंत्रिमंडल विस्तार में कांग्रेस आलाकमान ही नहीं खुद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट भी दबाव में है। दबाव में होने का कारण मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पहले भी कहा था की उनका साथ देने वाले विधायकों को वह इनाम देंगे। वहीं दूसरी तरफ सचिन पायलट भी अपने खेमे के विधायकों को सम्मानजनक बिठाना चाहते हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि कांग्रेस आलाकमान के लिए भी इन दोनों के बीच में सामंजस्य बिठाना बिल्कुल आसान काम नहीं है।
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