सवाई सिंह चौधरी और हनुमान बेनीवाल के बीच कांटे की टक्कर, बेनीवाल के हारने का संकेत
राजस्थान विधानसभा चुनाव 2018: नागौर जिले की सबसे हॉट सीट मानी जाने वाली खींवसर से इस बार 5 कैंडिडेट ताल ठोक रह है. राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (RLP) से हनुमान बेनीवाल कांग्रेस (Congress) से सवाई सिंह चौधरी भारतीय जनता पार्टी (BJP) से रामचंद्र उत्ता बहुजन समाजवादी पार्टी (BSP) ने भी अपना कैंडिडेट उतारा है . इसमें खास बात यह है कि, इस बार निर्दलीय के रूप में हनुमान बेनीवाल की भतीजी अनीता बेनीवाल उनके खिलाफ चुनावी मैदान में है. और वो चाचा के 10 साल के कार्यकाल से नाखुश है. खींवसर में इस बार का मुकाबला रोचक होने वाला है.
इस बार राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी से हनुमान बेनीवाल और कांग्रेस पार्टी से सवाई सिंह चौधरी के बीच कांटे की टक्कर मानी जा रही है. ऐसे में माना जा रहा है कि, हनुमान बेनीवाल अपने ही घर में हारने वाले हैं. सवाई सिंह चौधरी ने 19 अक्टूबर को खरनाल में स्थित वीर तेजाजी मंदिर में धोक लगाकर अपना नामांकन भरा था. जिसके बाद वह लगातार रात और दिन एक करके प्रचार में जुटे हुए हैं. और उनकी मेहनत मेहनत रंग ला रही है. सवाई सिंह चौधरी को खींवसर विधानसभा क्षेत्र में इस बार अच्छा समर्थन मिल रहा है. लोग हनुमान बेनीवाल को छोड़कर सवाई सिंह चौधरी के समर्थन में आ रहे हैं. विश्नोई समाज ने भाजपा और राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी को छोड़कर कांग्रेस को समर्थन दे दिया है.
इस बार खींवसर में सवाई सिंह चौधरी की हवा अच्छी चल रही है. लेकिन अपने पार्टी बनाकर अपने घर अपने घर से चुनाव लड़ने वाले हनुमान बेनीवाल की हवा पूरे राजस्थान में खराब है. बड़ी-बड़ी रैलियां करके लोगों को इकट्ठे करने वाले हनुमान बेनीवाल से जाट समाज काफी नाराज नजर आ रहे हैं. क्योंकि हनुमान बेनीवाल ने राजस्थान के अंदर सभी 200 विधानसभा सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारने की बात कही थी. और अपनी खुद की लड़ाई मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खिलाफ बता रहे थे. लेकिन दोनों के सामने कोई उम्मीदवार नहीं उतारा है.
दूसरी ओर हनुमान बेनीवाल और घनश्याम तिवाड़ी जयपुर में एक ही मंच पर खड़े होकर एलान किया था कि, हम दोनों साथ में हैं। लेकिन दोनों ने 22 कैंडिडेट आमने सामने उतारे हैं। दूसरी और बताया जा रहा है कि, निर्दलीय नामांकन भरने वाले दुर्ग सिंह ने अपना नामांकन वापस लेने के बाद सारे राजपूतों का वोट सवाई सिंह चौधरी की तरफ जायेंगे. इसका मुख्य कारण है की, भाजपा से आनंदपाल एनकाउंटर से राजपूत नाराज चल रहे हैं। दूसरी और बीजेपी का कैंडिडेट हल्का है. जाटों के बाद राजपूत भी खींवसर की हार जीत में अहम भूमिका निभा रहे हैं.
राजस्थान विधानसभा चुनाव 2018: नागौर जिले की सबसे हॉट सीट मानी जाने वाली खींवसर से इस बार 5 कैंडिडेट ताल ठोक रह है. राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (RLP) से हनुमान बेनीवाल कांग्रेस (Congress) से सवाई सिंह चौधरी भारतीय जनता पार्टी (BJP) से रामचंद्र उत्ता बहुजन समाजवादी पार्टी (BSP) ने भी अपना कैंडिडेट उतारा है . इसमें खास बात यह है कि, इस बार निर्दलीय के रूप में हनुमान बेनीवाल की भतीजी अनीता बेनीवाल उनके खिलाफ चुनावी मैदान में है. और वो चाचा के 10 साल के कार्यकाल से नाखुश है. खींवसर में इस बार का मुकाबला रोचक होने वाला है.
इस बार राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी से हनुमान बेनीवाल और कांग्रेस पार्टी से सवाई सिंह चौधरी के बीच कांटे की टक्कर मानी जा रही है. ऐसे में माना जा रहा है कि, हनुमान बेनीवाल अपने ही घर में हारने वाले हैं. सवाई सिंह चौधरी ने 19 अक्टूबर को खरनाल में स्थित वीर तेजाजी मंदिर में धोक लगाकर अपना नामांकन भरा था. जिसके बाद वह लगातार रात और दिन एक करके प्रचार में जुटे हुए हैं. और उनकी मेहनत मेहनत रंग ला रही है. सवाई सिंह चौधरी को खींवसर विधानसभा क्षेत्र में इस बार अच्छा समर्थन मिल रहा है. लोग हनुमान बेनीवाल को छोड़कर सवाई सिंह चौधरी के समर्थन में आ रहे हैं. विश्नोई समाज ने भाजपा और राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी को छोड़कर कांग्रेस को समर्थन दे दिया है.
इस बार खींवसर में सवाई सिंह चौधरी की हवा अच्छी चल रही है. लेकिन अपने पार्टी बनाकर अपने घर अपने घर से चुनाव लड़ने वाले हनुमान बेनीवाल की हवा पूरे राजस्थान में खराब है. बड़ी-बड़ी रैलियां करके लोगों को इकट्ठे करने वाले हनुमान बेनीवाल से जाट समाज काफी नाराज नजर आ रहे हैं. क्योंकि हनुमान बेनीवाल ने राजस्थान के अंदर सभी 200 विधानसभा सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारने की बात कही थी. और अपनी खुद की लड़ाई मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खिलाफ बता रहे थे. लेकिन दोनों के सामने कोई उम्मीदवार नहीं उतारा है.
दूसरी ओर हनुमान बेनीवाल और घनश्याम तिवाड़ी जयपुर में एक ही मंच पर खड़े होकर एलान किया था कि, हम दोनों साथ में हैं। लेकिन दोनों ने 22 कैंडिडेट आमने सामने उतारे हैं। दूसरी और बताया जा रहा है कि, निर्दलीय नामांकन भरने वाले दुर्ग सिंह ने अपना नामांकन वापस लेने के बाद सारे राजपूतों का वोट सवाई सिंह चौधरी की तरफ जायेंगे. इसका मुख्य कारण है की, भाजपा से आनंदपाल एनकाउंटर से राजपूत नाराज चल रहे हैं। दूसरी और बीजेपी का कैंडिडेट हल्का है. जाटों के बाद राजपूत भी खींवसर की हार जीत में अहम भूमिका निभा रहे हैं.
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