जयपुर। राजस्थान की चार विधानसभा राजसमंद जिले की राजसमंद, उदयपुर की वल्लभनगर विधानसभा, भीलवाड़ा की सहाड़ा विधानसभा और चुरू की सुजानगढ़ में मार्च या अप्रैल में उपचुनाव होने वाले है। हालांकि अभी की उपचुनावों की तारीखों की घोषणा नहीं हुई है।
इन विधानसभा चुनाव की तैयारियों में भारतीय जनता पार्टी भी जुट चुकी है और ताबड़तोड़ बैठके भी कर रही है। वही बीजेपी कैसे भी करके पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को चुनावी मैदान में उतरने की कोशिश कर रही है। ताकि किसी भी हालत में जीत उनकी पक्की हो। दूसरी ओर राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अपनी ही सरकार में उप मुख्यमंत्री रहे और टोंक से विधायक सचिन पायलट को मानने की तमाम तरह के प्रयास तेज कर दिए है क्युकी अशोक गहलोत को भी यह बात पता है की सचिन पायलट के बिना उपचुनाव जितना उनके लिए मुश्किल हो सकता है।
सचिन पायलट को मानने की कोशिश!
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की तरफ से सचिन पायलट को मानने की कड़ी में 3 तीन पहले ही राजस्थान कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी अजय माकन पायलट के घर पर मुलाकात के लिए पहुंचे थे। और वहां पर करीब 40 मिनट तक सचिन पायलट और अजय माकन के बीच चर्चा हुई। मिली खबरों के अनुसार बताया जा रहा है की प्रदेश प्रभारी अजय माकन 27 तारीख को चित्तौड़गढ़ और बीकानेर के डूंगरपुर में होने वाली सभा में सचिन पायलट को बुलाने का प्रयास किया गया है।
उपचुनाव वाले क्षेत्र में बजट!
आप को बता दे की राजस्थान की जिन चार विधान सभा में उपचुनाव होना है वहां पर कभी भी आचार संहिता लागू हो सकती है। ऐसे में 2 दिन पहले यानी 24 फरवरी को राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राजस्थान विधानसभा में सालाना बजट पेश किया जिसमे इन चारों विधानसभा में कई सारी घोषणा की।
शनिवार को चित्तौड़गढ़ व डूंगरपुर में विशाल सभाओं में सीएम अशोक गहलोत द्वारा सचिन पायलट को सभा में शामिल होने के लिए मानने की कवायद शुरू हो गई है। दूसरी ओर जानकारी यह भी मिल रही है की सचिन पायलट इन सभाओं में शामिल हो सकते है।
सचिन पायलट के करीबी माने जाने वाले चाकसू विधायक वेद प्रकाश सोलंकी ने कहा की जिस प्रकार पिछले दिनों चाकसू के कोटखबड़ा में आयोजित हुई किसान महापंचयत में सीएम अशोक गहलोत और पीसीसी चीफ गोविंद सिंह डोटासरा शामिल नहीं हुए थे तो कई लोग को ऐसा लग रहा था की अगर वो लोग इस महापंचायत में चले जाते तो उनके लिए आगे चलकर दिक्कत हो सकती थी।
बरहाल राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा चार विधानसभा में होने वाले उपचुनाव में सभी सीटों पर विजय का पताका फहराकर खुद का जादू बरकरार रखने का भी प्रयास किया जा रहा है। वही बीजेपी भी यह दावा करने से पीछे नहीं है की यह चारो सीटें वो जितने वाली है।
भारतीय जनता पार्टी की मुश्किल है वसुंधरा राजे
दूसरी ओर प्रदेश भाजपा में भी गुटबाजी हावी होती जा रही है। राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे द्वारा 8 मार्च को इनके जन्मदिवस पर भरतपुर में उनका जन्म दिन मानने के साथ की धार्मिक यात्रा शुरू करने जैसी बाते भी सामने आ रही है। जिसके कारण प्रदेश भाजपा चिंतित है।
राजस्थान में होने वाले उपचुनाव के परिणाम न केवल राज्य की कांग्रेस सरकार का भविष्य तह करगी, बल्कि इसके साथ ही राजस्थान भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष सतीश पूनिया के नेतृत्व को लेकर जा रही तमाम कयासबाजी पर पुर्णविराम लग सकता है।
चार बड़े नेताओं का भविष्य तह करेगी चारों सीटें
इस उपचुनाव में अगर यह चारों सीट में से अधिकांस पर कांग्रेस जितने मे कामयाब हो जाती है तो प्रदेश की अशोक गहलोत सरकार की मुश्किलें कम हो जायेगी और इसके अलावा सचिन पायलट का मई में मुख्यमंत्री बनने का सपना भी चूर हो जायेगा। और अगर दूसरी तरफ मान ले की इन सीटों के परिणाम ने बीजेपी बढ़त बना लेती है तो बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया का भविष्य जरूर चमक जायेगा और पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के भविष्य पर भी विराम लग जायेगा।
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