राजस्थान में इन दिनों पंचायत का चुनाव चल रहा है। लेकिन इन चुनावों में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को कहीं ना कहीं डर लग रहा है कि पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट के बिना चुनावों में वर्तमान स्थिति में सुधार लाना मुमकिल नहीं है। क्युकी प्रदेश की कांग्रेस दो कैंपों में बंटी हुई है। दूसरी तरफ ब्लॉक और जिला कांग्रेस की टीमों का भी अभी तक गठन नहीं किया गया है। ऐसे में अगर राजस्थान में कांग्रेस की हार होती है तो कहीं ना कहीं सीएम अशोक गहलोत और अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा पर सवाल खड़े होंगे। और यही वजह है कि हाईकोर्ट के निर्देश 31 अक्टूबर तक निकायों के चुनाव करवाया जाए, गहलोत सरकार इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने वाली है।
गहलोत सरकार सुप्रीम कोर्ट में अपील करने वाली है कि फिलहाल के लिए निकायों के चुनाव टाल दी जाए। इसके पीछे सरकार तर्क दे रही है कि जहां पर निकायों के चुनाव होने हैं वहां पर कॉरोना का कहर ज्यादा है। ऐसे में यह चुनाव फिलहाल के लिए रोक दिया जाए। जबकि हाईकोर्ट ने सरकार को 31 अक्टूबर तक के चुनाव संपूर्ण करवाने के आदेश दे दिए हैं। साथ हाईकोर्ट ने पूछा कि प्रदेश में ग्राम पंचायतों के चुनाव हो सकते हैं, दूसरे राज्यों में विधानसभा चुनाव हो सकते हैं, उप चुनाव हो सकते हैं। तो फिर निकाय चुनाव क्यों नहीं हो सकते हैं।
ऐसी स्थिति में माना जा रहा है कि राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की सरकार के आगे कुआं पीछे खाई वाली स्थिति हो गई है। अगर निकायों के चुनाव करवाती है और हार हो जाती है तो गहलोत और डोटासरा पर सवाल खड़े किए जाएंगे, जिसके कारण से सचिन पायलट कैंप मजबूत हो जाएगा। अगर चुनाव जीत जाती है तो करोना की समस्या से लड़ना मुश्किल हो जाएगा।
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