राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपनी तरफ से पूरी कोशिश की सचिन पायलट राजस्थान की सियासत में वापसी ना करें अगर वापसी करे तो भी कम से कम कांग्रेस पार्टी का हिस्सा ना बने। इसके लिए सीएम अशोक गहलोत ने सियासी तौर पर हर पेज को आजमाया है।
लेकिन फिर भी सचिन पायलट की घर वापसी हुई है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को समझौता करना पड़ा आलाकमान द्वारा लिया गया फैसला मजबूरन सीएम को मानना पड़ा।
लेकिन सचिन पायलट की कांग्रेस में वापसी के बाद में हर कोई मांग रहा था कि सचिन पायलट ने स्वाभिमान से समझौता किया है, और मुख्यमंत्री गहलोत सरकार को अपने हिसाब से ही चलाएंगे, मंत्रिमंडल भी अपने हिसाब से बनाएंगे।
लेकिन अब पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट ने सीएम अशोक गहलोत को एक के बाद एक दो झटके दिया है। ऐसे देखा जाए तो ऐसा लग रहा है कि सीएम अशोक गहलोत सचिन पायलट के चक्रव्यूह में फंसते जा रहे हैं। सचिन पायलट के पहले मास्टर स्ट्रोग खेला और अविनाश पांडे को राजस्थान कांग्रेस प्रदेश प्रभारी पद से विदाई दिलवादी दी और इनकी जगह अब अजय मकान को बैठा दिया।
दूसरा मास्टर स्ट्रोंग 3 सदस्यों की कमेटी का गठन किया गया जिसमें माना जा रहा है कि दो सदस्य के सी वनुगोपाल और अजय माकन सचिन पायलट को पसंद करने वाले है और एक सदस्य अहमद पटेल अशोक गहलोत गुट से माने जाते है। इस नजरिए से देखा जाए तो भी सचिन पायलट अशोक गहलोत पर भारी पड़ते हुए दिखाई दे रहे हैं।
तीन सदस्यीय कमेटी रिपोर्ट बनाएगी और वो रिपोर्ट आलाकमान को देगी। इन सब के बीच अब यह माना जा रहा है कि जब मंत्रिमंडल का विस्तार होगा, राजनीतिक न्युक्तियां होगी, संगठन का विस्तार होगा तो सचिन पायलट के गुट वाले विधायकों को अच्छी खासी जगह मिल सकती हैं। जिसके कारण अब सचिन पायलट के गुट वाले नेता काफी उत्साहित नजर आ रहे हैं।
अब आगे यह देखना दिलचस्प होगा कि इस पूरे चक्रव्यू में गहलोत अभिमन्यु बनकर उभरते हैं या सचिन पायलट कि रचना बर्बाद कर देंग।
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